विषय सूचीयथार्थ गीता -स्वामी अड़गड़ानन्दप्रथम अध्याययावदेतान्निरीक्षेऽहं योद्धुकामानवस्थितान्। जब तक मैं इन स्थित हुंए युद्ध कामना वालों को अच्छी प्रकार देख न लूँ कि इस युद्ध के उद्योग में मुझे किन-किन के साथ युद्ध करना योग्य है - इस युद्ध-व्यापार में मुझे किन-किन के साथ युद्ध करना है। योत्स्यमानानवेक्षेऽहं य एतेऽत्रं समागताः। दुर्बुद्धि दुर्योधन का युद्ध में कल्याण चाहने वाले जो-जो राजा लोग इस सेना में आये हैं, उन युद्ध करने वालों को मैं देखूँगा, इसलिये खड़ा करें। मोहरूपी दुर्योधन। मोहमयी प्रवृत्तियों का कल्याण चाहने वाले जो-जो राजा इस युद्ध में आये हैं, उनको मैं देख लूँ। |
टीका-टिप्पणी और संदर्भ
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