विषय सूचीयथार्थ गीता -स्वामी अड़गड़ानन्दचतुर्थ अध्याय
अर्जुन उवाच भगवन्! आपका जन्म तो ‘अपरम्’-अब हुआ है और मेरे अन्दर सुरा का संचार बहुत पुराना है, तो मैं कैसे मान लूँ कि इस योग को भजन के आदि में आपने ही कहा था? इस पर योगेश्वर श्रीकृष्ण बोले-
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टीका-टिप्पणी और संदर्भ
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