मौन ग्रहण कर रटूँ निरन्तर, जिह्वा से श्रीराधेश्याम।
नेत्रों से देखूँ न कभी कुछ, रहें दीखते राधेश्याम॥
कानों से सब शब्द त्यागकर, सुनूँ सर्वदा राधेश्याम।
मन से सभी प्रपञ्च दूर कर, रहूँ निरखता राधेश्याम॥
भोग-मोक्ष की चाह मिटे सब, चाहूँ केवल राधेश्याम।
एकमात्र, बस लगें परम प्रिय मुझको केवल राधेश्याम॥
मिले उच्च या नीच जन्म, पर रहें संग नित राधेश्याम।
अतुल अमल सौन्दर्य-सुधा-निधि परम मधुर श्रीराधेश्याम॥