मेरे गिरधर जू सो कौन लरी।
पकरि ल्याउ मेरे मुख आगै वारि डारौ सिगरी।।
चलि री मैया तोहिं बताऊँ जो मोसौ झगरी।
गौर बरनि नीलांबर ओढ़े चंचल चपल खरी।।
हौ बालक वह बड़े वैसे की कैसेक भुज पकरी।
मो कौ देखि ढकेलि चलति है नैननि तेह भरी।।
तीखे बचन सुनति जसुमति के आगै आनि खरी।
'सूरदास' मुख निरखि राधिका रिस सिगरी बिसरी।। 21 ।।