मेरी सुधि लीजौ हो ब्रजराज -सूरदास

सूरसागर

प्रथम स्कन्ध

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राग मुलतानी धनाश्री-तिताला



मेरी सुधि लीजौ हो ब्रजराज।
और नहीं जग मैं कोउ मेरौ, तुमहिं सुधारन-काज।
गनिका, गीध, अजामिल तारे, सबरी औ गजराज।
सूर पतित पावन करि कीजै, वाहँ गहे की लाज।।219।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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