मुरली कौन गुमान भरी -सूरदास

सूरसागर

2.परिशिष्ट

भ्रमर-गीत

Prev.png
राग मलार




मुरली कौन गुमान भरी।
जानति है उतपात आपने उतपति क्यौ बिसरी।।
हृदय आपनै बेध बनाए बहु बिधि जरनि जरी।
तातै श्री करुनापति लीन्ही अधरनि आनि धरी।।
अब धौ कहा कियौ चाहति है सरबस लै निबरी।
'सूरदास' ब्रज हा हा करि कै गोपी कहतिं खेंरी।। 16 ।।

Next.png

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः