मुरली कहै सु स्याम करैं री।
वाही कैं बस भए रहत हैं वाकैं रंग ढरैं री।।
घर-बन, रैनि-दिना सँग डोलत, कर तैं करत न न्यारी।
आई बन बलाइ यह हमकौं, कहा दीजियै गारी।।
अब लौं रहे हमारे माई, इहिं अपने अब कीन्हें।
सूर स्याम नागर यह नागरि, दुहुँनि भलैं करि चीन्हे।।1319।।