मानि न मानि री लाल मनाइहै -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग केदारौ


मानि न मानि री लाल मनाइहै, तेरी आँखिनि मै पैयत है।
कत सकुचति मैं सब जानति, ऐसी प्रीति क्यौ दुरैयत है।।
मेरौ बिलग मानति यह जानति, इनि बातनि मै कछु पैयत है।
'सूर' स्याम न्यारे न वूझियै, काहे कौ री अनखैयत है।।2697।।

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