षट्पन्चाशत्तम (56) अध्याय: शल्य पर्व (गदा पर्व)
महाभारत: शल्य पर्व: षट्पन्चाशत्तम अध्याय: श्लोक 43-46 का हिन्दी अनुवाद
तदनन्तर सबसे सम्मानित हो कुरुनन्दन दुर्योधन ने युद्ध के लिये धीर बुद्धि का आश्रय लिया। उस समय उसके शरीर में रोमान्च हो आया था। इसके बाद जैसे लोग ताली बजाकर मतवाले हाथी को कुपित कर देते हैं, उसी प्रकार राजाओं ने ताली पीट कर अमर्षशील दुर्योधन को पुनः हर्ष और उत्साह से भर दिया। महामनस्वी पाण्डु पुत्र भीमसेन ने गदा उठाकर आपके महामना पुत्र दुर्योधन पर बड़े वेग से आक्रमण किया। उस समय हाथी बारंबार चिग्घाड़ने और घोड़े हिनहिनाने लगे। साथ ही विजयाभिलाषी पाण्डवों के अस्त्र-शस्त्र चमक उठे। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
|