चतुष्पन्चाशत्तम (54) अध्याय: शल्य पर्व (गदा पर्व)
महाभारत: शल्य पर्व: चतुष्पन्चाशत्तम अध्याय: श्लोक 39-41 का हिन्दी अनुवाद
‘सरस्वती सब नदियों में पवित्र है। सरस्वती सदा सम्पूर्ण जगत का कल्याण करने वाली है। सरस्वती को पाकर मनुष्य इहलोक और परलोक में कभी पापों के लिये शोक नहीं करते हैं’। तदनन्तर शत्रुओं को संताप देने वाले बलराम जी बारंबार प्रेमपूर्वक सरस्वती नदी की ओर देखते हुए घोड़ों से जुते उज्ज्वल रथ पर आरूढ़ हुए। उसी शीघ्रगामी रथ के द्वारा तत्काल उपस्थित हुए दोनों शिष्यों का युद्ध देखने के लिये यदुपुंगव बलराम जी उनके पास जा पहुँचे। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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