सप्ताशीतितम (87) अध्याय: वन पर्व (तीर्थयात्रा पर्व)
महाभारत: वन पर्व: सप्ताशीतितम अध्याय: श्लोक 23-28 का हिन्दी अनुवाद
वहीं तपस्वीजनों से सुशोभित पवित्र देववन नामक पुण्य क्षेत्र है, जहाँ पर्वत के शिखर पर बाहुदा ओर नन्दा नदी बहती हैं। महाराज! पूर्व दिशा में जो बहुत-से-तीर्थ, नदियां, पर्वत और पुण्य मंदिर आदि हैं, उनका मैंने तुमसे (संक्षेप में) वर्णन किया है। अब शेष तीन दिशाओं के सरिताओं, पर्वतों और पुण्य स्थानों का वर्णन करता हूं, सुनो’।
इस प्रकार श्रीमहाभारत वनपर्व के अन्तर्गत तीर्थयात्रापर्व में धौम्यतीर्थयात्रा विषयक सत्तासीवां अध्याय पूरा हुआ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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