महाभारत मौसल पर्व अध्याय 6 श्लोक 19-28

षष्ठ (6) अध्याय: मौसल पर्व

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महाभारत: मौसल पर्व: षष्ठ अध्याय: श्लोक 19-28 का हिन्दी अनुवाद


"पुरुषप्रवर पिता जी! आज इस कुल का संहार हो गया। अर्जुन द्वारकापुरी में आने वाले हैं। आने पर उनसे वृष्णिवंशियों के इस महान विनाश का वृतान्‍त कहियेगा। प्रभो अर्जुन के पास सन्‍देश भी पहुँचा होगा। वे महातेजस्‍वी कुन्‍तीकुमार यदुवंशियों के विनाश का यह समाचार सुनकर शीघ्र ही यहाँ आ पहुँचेंगे। इस विषय में मेरा कोई अन्‍यथा विचार नहीं है। जो मैं हूँ उसे अर्जुन समझिये, जो अर्जुन हैं वह मैं ही हूँ। माधव! अर्जुन जो कुछ भी कहें वैसा ही आप लोगों को करना चाहिये। इस बात को अच्‍छी तरह समझ लें। जिन स्त्रियों का प्रसवकाल समीप हो, उन पर और छोटे बालकों पर अर्जुन विशेष रूप से ध्‍यान देंगे और वे ही आपका और्ध्‍वदेहिक संस्‍कार भी करेंगे। अर्जुन के चले जाने पर चहारदीवारी और अट्टालिकाओं सहित इस नगरी को समुद्र तत्‍काल डुबो देगा। मैं किसी पवित्र स्‍थान में रहकर शौच-संन्‍तोषादि नियमों का आश्रय ले बुद्धिमान बलराम जी के साथ शीघ्र ही काल की प्रतीक्षा करूँगा।"

ऐसा कहकर अचिन्‍त्‍य पराक्रमी प्रभावशाली श्रीकृष्‍ण बालकों के साथ मुझे छोड़कर किसी अज्ञात दिशा को चले गये हैं। तब से मैं तुम्‍हारे दोनों भाई महात्‍मा बलराम और श्रीकृष्‍ण तथा कुटुम्‍बीजनों के इस घोर संहार का चिन्‍तन करके शोक से गलता जा रहा हूँ। मुझसे भोजन नहीं किया जाता। अब मैं न तो भोजन करूँगा और न इस जीवन को ही रखूँगा।

पांडुनन्‍दन! सौभाग्‍य की बात है कि तुम यहाँ आ गये। पार्थ! श्रीकृष्‍ण ने जो कुछ कहा है, वह सब करो। यह राज्‍य, ये स्त्रियाँ और ये रत्‍न-सब तुम्‍हारे अधीन हैं। शत्रुसूदन! अब मैं निश्चिन्‍त होकर अपने इन प्‍यारे प्राणों का परित्‍याग करूँगा।


इस प्रकार श्रीमहाभारत मौसल पर्व में अर्जुन और वसुदेव का संवाद विषयक छठा अध्‍याय पूरा हुआ।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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