महाभारत उद्योग पर्व अध्याय 17 श्लोक 18-19

सप्तदश (17) अध्‍याय: उद्योग पर्व (सेनोद्योग पर्व)

Prev.png

महाभारत: उद्योग पर्व: सप्तदश अध्याय: श्लोक 18-19 का हिन्दी अनुवाद

शत्रुदमन शक्र! इस प्रकार दुरात्मा नहुष देवताओं के राज्य से भृष्ट हो गया। ब्राह्मणों का कण्टक मारा गया। सौभाग्य की बात है कि अब हम लोगों की बृद्धि हो रही है। शचीपते! अब आप अपनी इन्द्रियों और शत्रुओं पर विजय पा गये हैं। महर्षिगण आपकी स्तुति करते हैं, अतः आप स्वर्ग लोक में चलें और तीनों लोकों की रक्षा करें। शल्य कहते हैं- युधिष्ठिर! तदनन्तर महर्षियों से घिरे हुए देवता, यक्ष, नाग, राक्षस, गन्धर्व, देवकन्याएँ तथा समस्त अप्सराएँ बहुत प्रसन्न हुईं। सरिताएँ,सरोवर,शैल और समुद्र भी बहुत संतुष्ट हुए। वे सब लोग इन्द्र के पास आकर बोले- ‘शत्रुघन! आपका अभ्युदय हो रहा है, यह सौभाग्य की बात है। बुद्धिमान अगस्त्य जी ने पापी नहुष को मार डाला और उस पापाचारी को पृथ्वी पर सर्प बना दिया, यह भी हमारे लिये बड़े हर्ष तथा सौभाग्य की बात है।

इस प्रकार श्रीमहाभारत के उद्योगपर्व के अन्तर्गत सेनोद्योगपर्व में पुरोहित प्रस्थान विषयक सत्रहवाँ अध्याय पूरा हुआ।

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः