त्रिसप्ततितम (73) अध्याय: आश्वमेधिक पर्व (अनुगीता पर्व)
महाभारत: आश्वमेधिक पर्व: त्रिसप्ततितम अध्याय: श्लोक 18-28 का हिन्दी अनुवाद
महाराज! महाभारत युद्ध में जिनके भाई–बन्धु मारे गये थे, ऐसे जिन-जिन क्षत्रियों ने उस समय अर्जुन के साथ युद्ध किया था, उन हजारों नरेशों की कोई गिनती नहीं है। राजन! तलवार और धनुष धारण करने वाले बहुत–से किरात, यवन और मलेच्छ, जो पहले महाभारत–युद्ध में पाण्डवों द्वारा परास्त किये गये थे, अर्जुन का सामना करने के लिये आये। हृष्ट-पुष्ट मनुष्यों और वाहनों से युक्त बहुत–से रणदुर्मद आर्य नरेश भी पाण्डुपुत्र अर्जुन से भिड़े थे। पृथ्वीनाथ! इस प्रकार भिन्न–भिन्न स्थानों में नाना देशों से आये हुए राजाओं के साथ अर्जुन को अनेक बार युद्ध करने पड़े। निष्पाप नरेश! जो युद्ध दोनों पक्ष के योद्धाओं के लिये अधिक कष्टदायक और महान थे, अर्जुन के उन्हीं युद्धों का मैं यहाँ तुमसे वर्णन करूँगा।
इस प्रकार श्रीमहाभारत आश्वमेधिक पर्व के अन्तर्गत अनुगीता पर्व में अर्जुन के द्वारा अश्व का अनुसरणविषयक तिहत्तरवां अध्याय पूरा हुआ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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