एकसप्ततितम (71) अध्याय: आश्वमेधिक पर्व (अनुगीता पर्व)
महाभारत: आश्वमेधिक पर्व: एकसप्ततितम अध्याय: श्लोक 18-26 का हिन्दी अनुवाद
भगवान श्रीकृष्ण ने कहा- महाबाहो! शत्रुदमन नरेश! आप ही ऐसी बात कह सकते हैं। मेरा तो यह दृढ़ विश्वास है कि आप ही सम्पूर्ण भूतों के अवलम्ब हैं। राजन! समस्त कौरव वीरों में एकमात्र आप ही धर्म से सुशोभित होते हैं। हम लोग आपके अनुयायी हैं और आपको अपना राजा एवं गुरु मानते हैं। इसलिए भारत! आप हमारी अनुमति से स्वयं ही इस यज्ञ का अनुष्ठान कीजिये तथा हम लोगों में से जिसको जिस काम पर लगाना चाहते हों, उसे उस काम पर लगने की आज्ञा दीजिये। निष्पाप नरेश! मैं आपके सामने सच्ची प्रतिज्ञा करता हूँ कि आप जो कुछ कहेंगे, वह सब करूगाँ। आप राजा हैं, आपके द्वारा यज्ञ होने पर भीमसेन, अर्जुन, नकुल और सहदेव को भी यज्ञानुष्ठान का फल मिल जायगा।
इस प्रकार श्रीमहाभारत आश्वमेधिक पर्व के अन्तर्गत अनुगीता पर्व में श्रीकृष्ण और व्यास की युधिष्ठिर को यज्ञ करने के लिये आज्ञाविषयक इकहत्तरवाँ अध्याय पूरा हुआ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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