तृतीय (3) अध्याय: आश्वमेधिक पर्व (अश्वमेध पर्व)
महाभारत: आश्वमेधिक पर्व: नवम अध्याय: श्लोक 19-23 का हिन्दी अनुवाद
युधिष्ठिर ने कहा- वक्ताओं में श्रेष्ठ महर्षे! मरुत्त के यज्ञ में इतने धन का संग्रह किस प्रकार किया गया था तथा वे महाराज मरुत्त किस समय इस पृथ्वी पर प्रकट हुए थे। व्यास जी ने कहा- पार्थ! यदि तुम सुनना चाहते हो तो करन्धम के पौत्र मरुत्त का वृत्तान्त सुनो। वे महाधनी और महापराक्रमी राजा किस काल में इस पृथ्वी पर प्रकट हुए थे, यह बता रहा हूँ।
इस प्रकार श्रीमहाभारत आश्वमेधपर्व के अन्तर्गत अश्वमेध पर्व में संवर्त और मरुत्त का उपाख्यानविषयक तीसरा अध्याय पूरा हुआ।
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
|