महाभारत आश्रमवासिक पर्व अध्याय 25 श्लोक 14-19

पंचविंश (25) अध्याय: आश्रमवासिक पर्व (आश्रमवास पर्व)

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महाभारत: आश्रमवासिक पर्व: पंचविंश अध्याय: श्लोक 14-19 का हिन्दी अनुवाद


इनके पास जो नीलकमल के समान श्याम रंग वाली महिला है, वह कमलनयनी सुन्दरी माद्री के ज्येष्ठ पुत्र नकुल की पत्नी है। यह जो तपाये हुए कुन्दन के समान कान्ति वाली तरुणी गोद में बालक लिये बैठी है, यह राजा विराट की पुत्री उत्तरा है। यह उस वीर अभिमन्यु की धर्मपत्नी है, जो महाभारत युद्ध में रथ पर बैठे हुए द्रोणाचार्य आदि अनेक महारथियों द्वारा रथहीन कर दिया जाने पर मारा गया।

इन सबके सिवा ये जितनी स्त्रियाँ सफ़ेद चादर ओढे़ बैठी हुई हैं, जिनकी माँगों में सिन्दूर नहीं है, ये सब दुर्योधन आदि सौ भाईयों की पत्नियाँ और इन बूढे़ महाराज की सौ पुत्रवधुएँ हैं। इनके पति और पुत्र रण में नरवीरों द्वारा मारे गये हैं। ब्राह्मणत्व के प्रभाव से सरल बुद्धि और विशुद्ध अन्तःकरण वाले महर्षियों! आपने सबका परिचय पूछा था; इसलिये मैंने इनमें से मुख्य-मुख्य व्यक्तियों का परिचय दे दिया है। ये सभी राजपत्नियाँ विशुद्ध हृदय वाली हैं।"

वैशम्पायन जी ने कहा- इस प्रकार संजय के मुख से सबका परिचय पाकर जब सभी तपस्वी अपनी-अपनी कुटिया में चले गये, तब कुरुकुल के वृद्ध एवं श्रेष्ठ पुरुष राजा धृतराष्ट्र इस प्रकार उन नरदेव कुमारों से मिलकर उस समय सबका कुशल-मंगल पूछने लगे। पांडवों के सैनिकों ने आश्रममण्डल की सीमा को छोड़कर कुछ दूर पर समस्त वाहनों को खोल दिया और वहीं पड़ाव डाल दिया तथा स्त्री, वृद्ध और बालकों का समुदाय छावनी में सुखपूर्वक विश्राम लेने लगा। उस समय राजा धृतराष्ट्र पांडवों से मिलकर उनका कुशल-समाचार पूछने लगे।


इस प्रकार श्रीमहाभारत आश्रमवासिक पर्व के अन्तर्गत आश्रमवास पर्व में ऋषियों के प्रति युधिष्ठिर आदि का परिचय विषयक पचीसवाँ अध्याय पूरा हुआ।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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