नवनवतितम (99) अध्याय: आदि पर्व (सम्भव पर्व)
महाभारत: आदि पर्व: नवनवतितम अध्याय: श्लोक 42-49 का हिन्दी अनुवाद
वैशम्पायन जी कहते हैं- जनमेजय! यह सब बातें बता कर गंगा देवी उस नवजात शिशु को साथ ले वहीं अन्तर्धान हो गयीं और अपने अभीष्ट स्थान को चली गयीं। उस बालक का नाम हुआ देवव्रत। कुछ लोग गांगेय भी कहते थे। द्यु[1] नाम वाले वसु शान्तनु के पुत्र होकर गुणों में उनसे भी बढ़ गये। इधर शान्तनु शोक से आतुर हो पुन: अपने नगर को लौट गये। शान्तनु ने उत्तम गुणों का मैं आगे चलकर वर्णन करूंगा। उन भरतवंशी महात्मा नरेश के महान् सौभाग्य का भी मैं वर्णन करूंगा, जिनका उज्ज्वल इतिहास ‘महाभारत’ नाम से विख्यात है। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 'द्यु' का ही नाम 'द्यो' है, जैसा कि पहले कई बार आ चुका है।
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