अष्टादश (18) अध्याय: आदि पर्व (आस्तीक पर्व)
महाभारत: आदि पर्व: अष्टादश अध्याय: श्लोक 40-46 का हिन्दी अनुवाद
ये सब अदभुत बातें देखकर दानव निराश हो गये और अमृत तथा लक्ष्मी के लिये उन्होंने देवताओं के साथ महान वैर बाँध लिया। उसी समय भगवान विष्णु ने मोहिनी माया का आश्रय ले मनोहारिणी स्त्री का अदभुत रूप बनाकर, दानवों के पास पदार्पण किया। समस्त दैत्यों और दानवों ने उस मोहिनी पर अपना हृदय निछावर कर दिया। उनके चित्त में मूढ़ता छा गयी। अतः उन सब ने स्त्री रूपधारी भगवान को वह अमृत सौंप दिया। (भगवान नारायण की वह मूर्तिमती माया हाथ में कलश लिये अमृत परोसने लगी। उस समय दानवों सहित दैत्य पंगत लगाकर बैठै ही रह गये, परन्तु उस देवी ने देवताओं को ही अमृत पिलाया; दैत्यों को नहीं दिया, इससे उन्होंने बड़ा कोलाहल मचाया)। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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