एकष्टयधिकशततम (161) अध्याय: आदि पर्व (बकवध पर्व)
महाभारत: आदि पर्व: एकष्टयधिकशततम अध्याय: श्लोक 17-26 का हिन्दी अनुवाद
युधिष्ठिर! मेरे इस निश्चय से दोनों प्रयोजन सिद्ध हो जायंगे। एक तो ब्राह्मण के यहाँ निवास करने का ऋण चुक जायगा और दूसरा लाभ यह है कि ब्राह्मण और पुरवासियों की रक्षा होने के कारण महान् धर्म का पालन हो जायगा। जो क्षत्रिय कभी ब्राह्मण कार्यों में सहायता करता है, वह उत्तम लोकों को प्राप्त होता है- यह मेरा विश्वास है। यदि क्षत्रिय इस भूतल पर वैश्य के कार्य में सहायता पहुँचाता है, वह निश्चय ही सम्पूर्ण लोकों में प्रजा को प्रसन्न करने वाला राजा होता है। इसी प्रकार जो राजा अपनी शरण में आये हुए शूद्र को प्राण संकट से बचाता है, वह इस संसार में उत्तम धन-धान्य से सम्पन्न एवं राजाओं द्वारा सम्मानित श्रेष्ठ कुल में जन्म लेता है। पौरवश को आनन्दित करने वाले युधिष्ठिर! इस प्रकार पूर्वकाल में दुर्लभ विवेक-विज्ञान से सम्पन्न भगवान् व्यास ने मुझसे कहा था; इसीलिये मैंने ऐसी चेष्टा की है। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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