दशाधिकशततम (110) अध्याय: आदि पर्व (सम्भव पर्व)
महाभारत: आदि पर्व: दशाधिकशततम अध्याय: श्लोक 28-31 का हिन्दी अनुवाद
कर्ण ने कहा- भगवन्! मैं आपकी दी हुई वह अमोघ बरछी चाहता हूं, जो शत्रुओं का संहार करने वाली है। वैशम्पायन जी कहते हैं- तब देवराज इन्द्र ने बदले में उसे अपनी ओर से एक बरछी प्रदान की और कहा- ‘वीरवर! तुम देवता, असुर, मनुष्य, गन्धर्व, नाग तथा राक्षसों में से जिस एक को जीतना चाहोगे, वही इस शक्ति के प्रहार से नष्ट हो जायगा। पहले इस पृथ्वी पर उसका नाम वसुषेण कहा जाता था। तत्पश्चात् अपने शरीर से कवच को कतर डालने के कारण वह कर्ण और वैकर्तन नाम से भी प्रसिद्ध हुआ। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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