महाभारत आदि पर्व अध्याय 108 श्लोक 19-26

अष्टाधिकशततम (108) अध्‍याय: आदि पर्व (सम्भव पर्व)

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महाभारत: आदि पर्व: अष्टाधिकशततम अध्‍याय: श्लोक 19-26 का हिन्दी अनुवाद


धनुर्वेद, घोड़े की सवारी, गदायुद्ध, ढाल-तलवार के प्रयोग, गजशिक्षा तथा नीतिशास्त्र में वे तीनों भाई पारंगत हो गये। उन्‍हें इतिहास, पुराण तथा नाना प्रकार के शिष्टाचारों का भी ज्ञान कराया गया। वे वेद-वेदांगों के तत्त्वज्ञ तथा सर्वत्र एक निश्चित सिद्धान्‍त के मानने वाले थे। पाण्डु धनुर्विद्या में उस समय के मनुष्‍यों में सबसे बढ़-चढ़कर पराक्रमी थे। इसी प्रकार राजा धृतराष्ट्र दूसरे लोगों की अपेक्षा शारीरिक बल में बहुत बढ़कर थे।

राजन्! तीनों लोकों में विदुर के समान दूसरा कोई भी मनुष्‍य धर्मपरायण तथा धर्म में ऊंची अवस्‍था को प्राप्त (आत्‍मदृष्टा) नहीं था। नष्ट हुए शान्तनु के वंश का पुन: उद्धार हुआ देखकर समस्‍त राष्ट्र के लोग परस्‍पर कहने लगे- ‘वीर पुत्रों को जन्‍म देने वाली स्त्रियों में काशिराज की दोनों पुत्रियां सबसे श्रेष्ठ हैं, देशों में कुरुजांगल देश सबसे उत्तम है, सम्‍पूर्ण धर्मज्ञों में भीष्‍म जी का स्‍थान सबसे ऊंचा है तथा नगरों में हस्तिनापुर सर्वोत्तम है।’

धृतराष्ट्र अन्‍धे होने के कारण और विदुर जी पारशव (शूद्रा के गर्भ से ब्राह्मण द्वारा उत्‍पन्न) होने से राज्‍य न पा सके; अत: सबसे छोटे पाण्‍डु ही राजा हुए। एक‍ समय की बात है, सम्‍पूर्ण नीतिज्ञ पुरुषों में श्रेष्ठ गंगानन्‍दन भीष्‍म जी धर्म के तत्त्व को जानने वाले विदुर जी से इन प्रकार न्‍यायोचित वचन बोले।

इस प्रकार श्रीमहाभारत आदिपर्व के अन्‍तर्गत सम्‍भव पर्व में पाण्डुराज्याभिषेक विषयक एक सौ आठवाँ अध्‍याय पूरा हुआ।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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