महादेव के प्रसाद से सबका स्वस्थ हो जाना

महाभारत सौप्तिक पर्व के अंतर्गत 18वें अध्याय में संजय ने महादेव के प्रसाद से सबके स्वस्थ हो जाने का वर्णन किया है, जो इस प्रकार है[1]-

महादेव के कोप से देवता, यज्ञ और जगत की दुरवस्था

उस समय कुपित हुए त्रिनेत्रधारी भगवान शिव ने अपने धनुष की कोटि से सविता की दोनों बाँहें काट डालीं, भग की आँखें फोड़ दी और पूषा के सारे दाँत तोड़ डाले। तदनन्‍तर सम्‍पूर्ण देवता और यज्ञ के सारे अंश वहाँ से पलायन कर गये। कुछ वहीं चक्कर काटते हुए प्राणहीन–से हो गये। वह सब कुछ दूर हटाकर भगवान नीलकण्‍ठ ने देवताओं का उपहास करते हुए धनुष की कोटि का सहारा ले उन सब को रोक दिया। तत्‍पश्चात देवताओं द्वारा प्रेरित हुई वाणी ने महादेव जी के धनुष की प्रत्‍यञ्चा काट डाली। राजन! सहसा प्रत्‍यञ्चा कट जाने पर वह धनुष उछलकर गिर पड़ा।[1] तब देवता यज्ञ को साथ लेकर धनुषरहित देवश्रेष्ठ महादेव जी की शरण में गये। उस समय भगवान शिव ने उन सब पर कृपा की। इसके बाद प्रसन्न हुए भगवान ने अपने क्रोध को समुद्र में स्‍थापित कर दिया। प्रभो! वह क्रोध वडवानल बनकर निरन्‍तर उसके जल को सोखता रहता है।

पाण्‍डुनन्‍दन! फिर भगवान शिव ने भग को आँखें, सविता को दोनों बाँहें, पूषा को दाँत और देवताओं को यज्ञ प्रदान किये। तदनन्‍तर यह सारा जगत् पुन: सुस्थिर हो गया। देवताओं ने सारे हविष्‍यों में से महादेव जी के लिये भाग नियत किया। राजन! भगवान शंकर के कुपित होने पर वह पुन: सुस्थिर हो गया। वे ही शक्तिशाली भगवान शिव अश्वत्थामा पर प्रसन्न हो गये थे। इसीलिये उसने आपके सभी महारथी पुत्रों तथा पाञ्चालराज का अनुसरण करने वाले अन्‍य बहुत से शूरवीरों का वध किया है। अत: इस बात को आप मन में न लावें। अश्वत्थामा ने यह कार्य अपने बल से नहीं, महोदव जी की कृपा से प्रसन्न किया है। अब आप आगे जो कुछ करना हो, वही कीजिये।[2]


टीका टिप्पणी व संदर्भ

  1. 1.0 1.1 महाभारत सौप्तिक पर्व अध्याय 18 श्लोक 1-19
  2. महाभारत सौप्तिक पर्व अध्याय 18 श्लोक 20-26

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