मन मेरौ हरि साथ गयौ री।
द्वारै आइ स्याम धन सजनी, हँसि मोतन तिहि संग लयौ री।।
ऐसै मिल्यौ जाइ मोकौ तजि, मानौ उनही पोपि जयौ री।
सेवा चूक परी जो मोतै, मन उनकौ धौ कहा कियौ री।।
मोकौं देखि रिसात कहत यह, तेरै जिय कछु गर्व भयौ री।
'सूर' स्याम-छवि-अंग लुभान्यौ, मन-बच-कम मोहि छाँड़ि दयौ री।।1888।।