मधुकर हम सब कहा करै।
पठए हौ गोपाल हेत करि, आयसु तन टरै।।
रसना उर वारौ ऊधौ पर, इहिं निरगुन कै साथ।
यह पै नैकु बिलग जनि मानहु, अँखियाँ नाहिन हाथ।।
कौन भाँति गुन कहौ तिहारे, चित कौ धार धरावौ।
महा बिचित्र नीर बिनु नौका जल बिनु मीन जियावौ।।
सेवा हीन अपूरब दरसन, कब आवैंगे फेरि।
'सूरदास' प्रभु सौ यौ कहियौ, केरा पास ज्यौ बेरि।।3863।।