मधुकर स्याम हमारे ईस -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग मलार


 
मधुकर स्याम हमारे ईस।
तिनकौ ध्यान धरै निसि बासर, औरहिं नवै न सीस।।
जोगिनि जाइ जोग उपदेसहु, जिनके मन दस बीस।
एकै चित एकै वह मूरति, तिन चितवति दिन तीस।।
काहे निरगुन ग्यान आपनौ, जित कित डारत खीस।
'सूरदास' प्रभु नंदनँदन बिनु, हमरे को जगदीस।।3702।।

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