मधुकर काहे कौ गोकुल आए -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

Prev.png
राग मलार


  
मधुकर काहे कौ गोकुल आए।
हम वैसी ही सचु अपने मैं, दूने बिरह जगाए।।
जानति है तुम जिनहि पठाए, स्याम सँदेसौ लाए।
जन्म जन्म के दूत तिरोवन, कौनहि लार लगाए।।
कहा करहि कहँ जाहि सखी री, हरि बिनु कछु न सुहाए।
जनम सुफल ‘सूरज’ तिनको, जे काज पराए धाए।।3510।।

Next.png

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः