भगवान वासुदेव -सुदर्शन सिंह 'चक्र'
श्रीरणछोड़राय
कालयवन का पता नहीं क्या हुआ। श्रीकृष्ण के पीछे पैदल शस्त्रहीन भागता गया था। वासुदेव लौट आए, पर वह नहीं लौटा। कहीं मार दिया होगा उसे कृष्ण ने। जरासन्ध के चरों ने उसे मार्ग में ही संदेश दिया – दोनों भाइयों ने पूरी यवन सेना कुछ घड़ियों में ही मार दी। मथुरा के भवन सूने पड़े हैं। नगर के चारों और शवों की ढेरियां लग गई हैं। पहले ही नगरवासियों को कहीं भेज दिया है इन लोगों ने। अब यवन सेना का धन, सामग्री उसी के वाहनों तथा सेवकों के द्वारा पश्चिम दिशा की ओर ले जा रहे हैं । रथों को आगे चलने दो। गज सेना रथों के पीछे पूरे वेग से और उसके पीछे अश्वारोही। जरासन्ध ने तत्काल आदेश दिया – पदाति सैनिक पीछे आवेंगे। पूरे वेग से दौड़ो। दोनों भाइयों को मार्ग में ही पकड़ लो। तेइस अक्षौहिणी सेना का केवल पैदल सैनिकों का भाग पीछे रह गया था और वे भी दौड़ते वेग से चलते ही बढ़ रहे थे। रथों, गजों, अश्वों की वह अपाह वाहिनी खेतों, उपवनों को रौंदती दौड़ रही थी। आकाश धूलि से ढक गया। आर्य ! ये सब भारवाही शत्रुपक्षीय हैं और इनका धन म्लेच्छ धन है। श्रीकृष्ण चंद्र ने बड़े भाई से कहा – जरासन्ध की सेना पूरे वेग से दौड़ती आ रही है। इस बार मगधराज उत्तम मुहूर्त देख कर चला है और उसकी विजय के लिए ब्राह्मणों का समूह सविधि अनुष्ठान में लगा है। ग्रह बल और देव बल उसके साथ है। यदि इनकी उपेक्षा कर दी जाएगी – ज्योतिष पर, अनुष्ठान पर, शास्त्र पर, ब्राह्मणों पर श्रद्धा कोई कैसे करेगा? तुम कहना क्या चाहते हो ! श्री बलराम जी ने छोटे भाई की ओर देखा – धरा का यह भार दूर करना। नहीं आर्य ! आज का दिन दूसरे प्रकार का मुहूर्त लेकर आया है। अग्रज का हाथ पकड़ा श्रीकृष्ण चंद्र ने और पैदल ही एक और दौड़ने का संकेत किया – आपके उपयुक्त तो नहीं है, किंतु मेरे लिए। श्री बलराम हंस पड़े। उनके ये छोटे भाई लीलामय हैं। कालयवन के सामने सवेरे से अकेले भागे थे। आज इन्हें जरासन्ध के सामने से भी भागना है। आज पलायन प्रिय हो उठे हैं और इनकी इच्छा, अनका अनुरोध टाला तो नहीं जा सकता। श्री बलराम भी दौड़ चले। कालयवन की सेना के भारवाही सेवकों में पहले ही जरासन्ध की पीछे दौड़ती आती सेना का कोलाहल, उड़ती धूलि देख कर बेचैनी फैलने लगी थी, किंतु वे चुपचाप चले जा रहे थे। इन दोनों भाइयों ने उनके सामने ही अजेय यवनवाहिनी को मिटाकर धर दिया। अब ये पीछा करने वाले पता नहीं कौन हैं, कैसे हैं और इनका क्या होने वाला है। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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