भगवान वासुदेव -सुदर्शन सिंह 'चक्र'
दशावतार
वैसे तो असंख्य अवतार हैं परम प्रभु के, किन्तु उनमें चौबीस मुख्य गिने जाते हैं और उनमें भी दस प्रमुख हैं। ये दस न युगावतार हैं न कल्पावतार। ये किसी-किसी कल्प में होते हैं। जैसे- ब्राह्मक ल्प से अव तक वाराहावतार दो बार हुआ- नीलवाराह पाद्मकल्प के प्रारम्भ में और श्वेतवाराह वर्तमान कल्प के प्रारम्भ में। मत्स्यावतार चाक्षुष मन्वन्तर के अन्त में प्राय: होता है। नृसिंहावतार भी अब तक केवल एक बार हुआ है। इन प्रमुख दसावतारों में प्रथम वाराहावतार है। जलमग्न पृथ्वी का उद्धार करने के लिए यह अवतार हुआ; क्योंकि मनु की सन्तान-परम्परा पृथ्वी पर ही बढ सकती थी। हिरण्याक्ष और हिरण्यकशिपु दोनों सगे भाई हैं। स्वर्ण पर इनमें से एक की दृष्टि लगी रहती है और दूसरा स्वर्ण की शैय्या बनाकर सोता है। लोभ के ये दो रूप- एक ‘हाय धन!’ 'हाय धन' करता संग्रह को भटकता फिर रहा है। सर्वत्र संघर्ष करता है। समुद्र तक को मथता है और पूरी पृथ्वी को छीनकर अपनी बनाने को आतुर है। यह हिरण्याक्ष है। हिरण्यकशिपु है कि त्रिलोकी के भोग-ऐश्वर्य को दबाये बैठा है। ‘जो कुछ कहीं है, मेरा है। जो कोई उपार्जन करे-उसमें मुझे भाग न दे तो दण्डनीय। मुझे व्यय नहीं करना है।’ हिरण्याक्ष- धन पर दृष्टि रखने वाला और धन के लोभ में सबसे संघर्ष करने वाला अन्तत: श्रीहरि से टकरायेगा ही; क्योंकि उसे तो युद्ध चाहिए। युद्ध पिपासु है वह। युद्ध के बिना उसकी असीम स्वर्ण–संग्रह की भूख कैसे मिट सकती है? वाराह भगवान यज्ञपुरुष हैं ‘यज्ञो वै विष्णु:, वे यज्ञमूर्ति ही हिरण्याक्ष को मार सकते हैं। वे ही धरा का उद्धार कर सकते हैं। जलमग्न रस, भोगमग्न लोभ जब भूल ही जाते हैं कि पृथ्वी की चिन्ता किये बिना उनकी स्वयं की सत्ता नहीं रहेगी, धन लोलुप यद्धोन्माद उत्पन्न करते घूमते हैं- धरित्री की सत्ता ही सन्दिग्ध हो जाती है तो भगवान यज्ञ पुरुष यज्ञमूर्ति वाराह बनकर धरा का उद्धार करते हैं। यज्ञ-सर्वजनहितैषिता हृदय में आवे तो लोभ अथवा संघर्ष टिकेगा? संघर्ष तथा लोभ की शत्रुता है सर्वहित से। सर्वहित रूप यज्ञ तो वाराह है। उसे सब मलिनता ओढ़नी पड़ती है। उसे सम्पूर्ण मल स्वच्छ करना है और सबकी निन्दा, सबके आपेक्ष को अपना लेना है बिना प्रतिकार किये। वह सम्पूर्ण धरित्री का उद्धारक है और वस्तुत: वही धरा का स्वामी है। लेकिन वाराह का पृथ्वी से संयोग होने पर दो पुत्र होते हैं-
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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