भक्‍त जमुने सुगम, अगम औरें -सूरदास

सूरसागर

प्रथम स्कन्ध

Prev.png
राग रामकली
यमुना-स्तुति



भक्‍त जमुने सुगम, अगम औरें।
प्रात जो न्‍हात, अघ जात ताके सकल, ताहि जमहू रहत हाथ जोरै।
अनुभवी जानही बिना अनुभव कहा, प्रिया जाकौ नहीं चित्त चोरै।
प्रेम के सिंधु कौ मर्म जान्‍यौ नहीं सूर कहि कहा भयौ देह बोरै?।।222।।

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः