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भक्ति सुधा -करपात्री महाराज
शिवलिंगोपासना-रहस्य
शिव उवाच-
यद्यपि शिवलिंग और उसकी पूजा अनादिकाल से ही है, तथापि उनके आविर्भाव का पुराणों में वर्णन है- ब्रह्मा, विष्णु दोनों ही ‘मैं बड़ा हूँ’ ऐसा कहकर परस्पर लड़ रहे थे। उनका विवाद मिटाने के लिये परमज्योतिर्मय लिंग का आविर्भाव हुआ। ब्रह्मा भगवान के उस ज्योतिर्मय लिंग का पता लगाने के लिये हंस पर आरूढ़ होकर ऊपर की ओर गये और विष्णु वराहरूप धारण कर नीचे गये। हजारों वर्ष तक घोर परिश्रम करने पर भी दोनों को उसका कहीं आद्यन्त न मिला। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ लिंगार्चंनतन्त्र 2 पटल
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