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ब्रह्म वैवर्त पुराण
श्रीकृष्ण जन्म खण्ड (उत्तरार्द्ध): अध्याय 79-82
दुःस्वप्न, उनके फल तथा उनकी शान्ति के उपाय का वर्णन तदन्तर सूर्य ग्रहण चंद्रग्रहणादि के विषय में कहकर नन्द बाबा के पूछने पर भगवान कहने लगे। श्रीभगवान बोले- नन्द जी! जो स्वप्न में हर्षातिरेक से अट्टहास करता है अथवा यदि विवाह और मनोऽनुकूल नाच-गान देखता है तो उसके लिए विपत्ति निश्चित है। स्वप्न में जिसके दाँत तोड़े जाते हैं और वह उन्हें गिरते हुए देखता है तो उसके धन की हानि होती है और उसे शारीरिक कष्ट भोगना पड़ता है। जो तेल से स्नान करके गदहे, ऊँट और भैंसे पर सवार हो दक्षिण दिशा की ओर जाता है; निःसंदेह उसकी मृत्यु हो जाती है। यदि स्वप्न में कान में लगे हुए अङहुल, अशोक और करवीर के पुष्प को तथा तेल और नमक को देखता है तो उसे विपत्ति का सामना करना पड़ता है। नंगी, काली, नक-कटी, शूद्र-विधवा तथा जटा और ताड़ के फल को देखकर मनुष्य को शोक को प्राप्त होता है। स्वप्न कुपित हुए ब्राह्मण तथा क्रुद्ध हुई ब्राह्मणी को देखने वाले मनुष्य पर निश्चय ही विपत्ति आती है और लक्ष्मी उसके घर से चली जाती है। जंगली पुष्प, लाल फूल, भलीभाँति पुष्पों से लदा पलाश, कपास और सफेद वस्त्र को देखकर मनुष्य दुःख का भागी होता है। काला वस्त्र धारण करने वाली काले रंग की विधवा स्त्री को हँसती और गाती हुई देखकर मनुष्य मृत्यु को प्राप्त हो जाता है। जिसे स्वप्न में देवगण नाचते, गाते, हँसते, ताल ठोंकते और दौड़ते हुए दीख पड़ते हैं; उसका शरीर मृत्यु का शिकार हो जाएगा। जो स्वप्न में काले पुष्पों की माला और कृष्णांगराग से सुशोभित एवं काला वस्त्र धारण करने वाली स्त्री का आलिंगन करता है; उसकी मृत्यु हो जाएगी। जो स्वप्न में मृग का मरा हुआ छौना, मनुष्य का मस्तक और हड्डियों की माला पाता है; उसके लिए विपत्ति निश्चित है। जो ऐसे रथ पर, जिसमें गदहे और ऊँट जुते हुए हों, अकेले सवार होता है और उस पर बैठकर फिर जागता है तो निःसंदेह वह मौत का ग्रास बन जाता है। जो अपने को हवि, दूध, मधु, मट्ठा और गुड़ से सराबोर देखता है; वह निश्चय ही पीड़ित होता है। जो स्वप्न में लाल पुष्पों की माला एवं लाल अंगराग से युक्त तथा लाल वस्त्र धारण करने वाली स्त्री का आलिंगन करता है; वह रोगग्रस्त हो जाता है, यह निश्चित है। गिरे हुए नख और केश, बुझा हुआ अंगार और भस्मपूर्ण चिता को देखकर मनुष्य अवश्य ही मृत्यु का शिकार बन जाता है। श्मशान, काष्ठ, सूखा घास-फूस, लोहा, काली स्याही और कुछ-कुछ काले रंगवाले घोड़े को देखने से अवश्यमेव दुःख की प्राप्ति होती है। पादुका, ललाट की हड्डी, लाल पुष्पों की भयावनी माला, उड़द, मसूर और मूँग देखने से तुरंत शरीर में घाव या फोड़ा हो जाता है। स्वप्न में सेना, गिरिगट, कौआ, भालू, वानर, नीलगाय, पीब और शरीर के मल का देखा जाना केवल व्याधि का कारण होता है। स्वप्न में फूटा बर्तन, घाव, शूद्र, गलत्कुष्ठी, रोगी, लाल वस्त्र, जटाधारी, सूअर, भैंसा, गदहा, महाघोर अंधकार, मरा हुआ भयंकर जीव और योनि-चिह्न देखकर मनुष्य निश्चय ही विपत्ति में फँस जाता है। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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