ब्रज पर बदरा आए गाजन।
मधुवन कोप ठए सुनि सजनी, फौज मदन लाग्यौ साजन।।
ग्रीवा रंध्र नैन चातक जल, पिक मुख बाजे बाजन।
चहुँदिसि तै तन बिरहा घेरयौ, कैसै पावति भाजन।।
कहियत हुते स्याम पर पीरक, आए संकट काजन।
'सूरदास' श्रीपति की महिमा, मथुरा लागे राजन।। 3302।।