ब्रजहिं चलौ आई अब साँझ -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

Prev.png
राग गौरी



ब्रजहिं चलौ आई अब साँझ।
सुरभी सबै लेहु आगैं करि, रैनि होइ जनि बनहीं माँझ।
भली कही यह बात कन्‍हाई, अतिहीं सघन अरन्‍य उजारि।
गैया हाँकि चलाई ब्रज कौं और ग्‍वाल सब लए पुकारि।
निकसि गए बन तैं जब बाहिर, अति आनंद भए सब ग्‍वाल।
सूरदास प्रभु मुरलि बजावत, ब्रज आवत नटवर गोपाल।।472।।

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः