बावरी गोपी -प्रेम भिखारी पृ. 96

बावरी गोपी -प्रेम भिखारी

15. सुनाऊँ किसको मनकी बात

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ठीक है, यमुना मैया बड़ी दयालु हैं,
वे मोहन की बातें चाव से सुनेंगी।
यमुना मैया!
तनिक ठहर जाओ,
अपने लाड़ले की करतूत सुन लो,
यह क्या कर गया है यहाँ।
तुम तो ठहरी नहीं?
क्या, तुम चलती रहो और मैं सुनाती रहूँ?
कल-कल करके तुम कुछ कह रही हो क्या?
हाय, तुम भी तो रो रही हो।
तुम्हारी यह दशा?
तुम्हारे हृदय की उमंगें किनारे पर सर पटक रहीं हैं।
हा, अब मैं किसके पास जाऊँ?

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बावरी गोपी -प्रेम भिखारी
क्रम संख्या पाठ का नाम पृष्ठ संख्या
1. कल की बात 1
2. क्या मैं बावरी हूँ? 6
3. मेरी ही भूल थी 11
4. और कूक 18
5. कैसे थे वे दिन? 23
6. कल आयेंगे 29
7. रे भौंरे, मत गूँज 37
8. इस मक्खन का क्या करूँ? 44
9. हाय, यह तो स्वप्न था 52
10. कूबरी, तुझे धिक्कार है 58
11. कूबरी! तू धन्य है 64
12. कुछ न कहना 69
13. मैं भली कि मछली 75
14. कोई तो बताये 83
15. सुनाऊँ किसको मनकी बात 90
16. यह है प्रेम-परिणाम 98
17. यही आशा तो बैरिन हो गयी 105
18. बस, एक झलक 112
19. मैं तो चली पिया की डागरिया 119

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