मगर सुन तो, तू किस समय कहेगी?
जब कोई न हो,
बिल्कुल एकान्त हो,
रात्रि का सयम हो,
चन्द्रिका छिटकी हो,
उनको नींद न आयी हो,
वे चन्द्रमा की ओर देखते हों,
गम्भीर मुद्रा बनाये किसी का स्मरण करते हों,
उस समय तू अपने शीतल-मन्द-सुगन्ध रूप को बना करके
चुपके से जाना।
थोड़ी देर में अपनी बात समाप्त करके कहना-
तुम्हारी........तुम्हा.......री...........
अरे, तू अपनी ओर से कुछ कह देना।
पर न जाने तू क्या कह दे,
हाय राम, मैं क्या कहलाऊँ?