अरे, मोहन तो नहीं दीखते।
किसी भी डालपर नहीं हैं!
हाय, ऐसे भाग्य कहाँ!
यह तो मैं पहले ही जानती थी।
प्राणप्यारे!
देखो, मैं कैसी सजकर आयी हूँ।
हाय, किसे दिखाऊँ।
पापी भौंरे!
अब तो मेरी जान न ले।
जा, किसी भोली कली को छल।
हा मोहन!
देखो, मैं कितनी असहाय हूँ,
यह छोटा-सा भौंरा भी मेरी बात नहीं सुनता।
दया कर, भाई!
अधिक न सता।
आह, अब तो बोलने की भी शक्ति नहीं है।
अच्छा, कोई जबरदस्ती नहीं है,
प्रार्थना करती हूँ,
रे भौंते मत गूँज।
(पेड़ के तने की आड़ लगाकर बैठ जाती है और अचेत हो जाती है।)