सोचती रही कि क्या यह ठीक कहती है।
हा प्यारे!
मुझसे तो ये ही अच्छी हैं, जिन्हें वे दिन याद तो हैं।
मैं सब ओर से गयी।
कभी तुम्हारे साथ नाचती-खेलती थी,
यह भी याद नहीं आता,
नहीं तो स्मरण कर-करके हा!
जीको कुछ हलका करती।
और किससे कहूँ,
तुम्हीं आकर बता दो प्राणनाथ!
कैसे थे वे दिन?
(संज्ञा शून्य हो जाती है।)