क्या तुम सचमुच अब न आओगे?
तुम्हें वे बातें याद नहीं आतीं?
तुम्हारा वो कोमल हृदय कहाँ गया?
निठुर श्याम!
तुम्हारी वो कोमलता बनावटी थी,
यह कठोरता ही सत्य है।
हम लोगों ने खूब धोखा खाया।
अरी काली कोयल!
तू यहाँ भी आ गयी?
हा श्यामसुंदर!
देखो, यह कोयल मुझे बेध रही है।
आकर बचाओ।
इसकी एक-एक कूक
नस-नस में भिदकर
मुझे व्याकुल कर रही है।