बावरी गोपी -प्रेम भिखारी
16. यह है प्रेम-परिणाम
तुम्हारी मधुर स्मृहित में मग्न रहा करूँ। |
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तुम्हारी मधुर स्मृहित में मग्न रहा करूँ। |
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