बावरी गोपी -प्रेम भिखारी पृ. 101

बावरी गोपी -प्रेम भिखारी

16. यह है प्रेम-परिणाम

Prev.png

तुम तक समाचार कैसे भेजूँ?
बड़ी पीड़ा हो रही है!
तुम्ही बताओ कान्हा!
भला मेरा दिमाग खराब हो गया है कि इन लोगों का?
तुम न आ सको तो कम-से-कम
एक पत्र लिखकर
इनको समझा दो कि
मेरा मस्तिष्क ठीक है,
मुझे छोड़ दें।
हाय! यह तो बड़ी दुर्दशा हुई।
स्वतन्त्र थी तब तो
कुंज, यमुना-तट आदि स्थानों में जाकर
कुछ जी बहला लेती थी,
किन्तु अब तो उससे भी गयी।

Next.png

संबंधित लेख

बावरी गोपी -प्रेम भिखारी
क्रम संख्या पाठ का नाम पृष्ठ संख्या
1. कल की बात 1
2. क्या मैं बावरी हूँ? 6
3. मेरी ही भूल थी 11
4. और कूक 18
5. कैसे थे वे दिन? 23
6. कल आयेंगे 29
7. रे भौंरे, मत गूँज 37
8. इस मक्खन का क्या करूँ? 44
9. हाय, यह तो स्वप्न था 52
10. कूबरी, तुझे धिक्कार है 58
11. कूबरी! तू धन्य है 64
12. कुछ न कहना 69
13. मैं भली कि मछली 75
14. कोई तो बताये 83
15. सुनाऊँ किसको मनकी बात 90
16. यह है प्रेम-परिणाम 98
17. यही आशा तो बैरिन हो गयी 105
18. बस, एक झलक 112
19. मैं तो चली पिया की डागरिया 119

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः