बाल-बिनोद आँगन की डोलनि।
मनिमय भूमि नंद कैं आलय, बलि-बलि जाउँ तोतरे बोलनि।
कठुला कंठ कुटिल केहरि-नख, बज्र-माल बहु लाल अमोलनि।
बदन सरोज तिलक गोरोचन, लट लटकनि मधुकर-गति डोलनि।
कर नवनीत परस, आनन सौं, कछुक खात, कछु लग्यौ कपोलनि।
कहि जनु सूर कहाँ लौं बरनों, धन्य नंद जीवन जग तोलनि।।121।।