बाल-बिनोद आँगन की डोलनि -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

Prev.png
राग बिलावल



बाल-बिनोद आँगन की डोलनि।
मनिमय भूमि नंद कैं आलय, बलि-बलि जाउँ तोतरे बोलनि।
कठुला कंठ कुटिल केहरि-नख, बज्र-माल बहु लाल अमोलनि।
बदन सरोज तिलक गोरोचन, लट लटकनि मधुकर-गति डोलनि।
कर नवनीत परस, आनन सौं, कछुक खात, कछु लग्यौ कपोलनि।
कहि जनु सूर कहाँ लौं बरनों, धन्य नंद जीवन जग तोलनि।।121।।

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः