बार बार राधा पछितानी -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

Prev.png
राग बिलावल


बार बार राधा पछितानी।
निकसे स्याम सदन मेरे तै, इनि अँटकनि पहचानी।।
नितही नित बूझति ये मोसौ, मैं इनपै सतराति।
अब तौ हरि परगट ही देखे पुनि पुनि कहति लजाति।।
इक ऐसैहि झकझोरति मोकौ, पायौ नीकौ दाउ।
'सूर' आजु किहि भाँति दुराऊँ, सोचति करति उपाउ।।2043।।

Next.png

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः