बार बार मोसौं कह बूझत -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग बिलावल


बार बार मोसौं कह बूझत, तुम परब्रह्म गुसाईं।
तुम हरता करता एकै हौ, अखिल भुवन के साई।।
कहा मल्ल चानूर कुबलया, त्रास नहीं तिन नैकौ।
'सूरदास' प्रभु कंस निपातहु, गहरु न करौ बैसै कौ।।3019।।

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