बार बार मैं कहति हौ -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग बिलावल


बार बार मैं कहति हौ, पिय तहाँ सिधारौ।
आए हौ मन हरन कौ हरि नाम तिहारौ।।
भली बनी छबि आजु की, क्यौ लेत जम्हाई।
रैनि आजु सोए नहीं, रति काम जगाई।।
वह रति तुम रतिनाथ हौ, हम कैसै भावै।
'सूर' स्याम ते बहुगुनी, जे तुमहि रिझावै।।2558।।

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