बाम करज टेक्यौ गिरिराज -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग मलार


बाम करज टेक्यौह गिरिराज।
गोपी-गाइ-ग्वाल-गोसुत कौ, दुख बिसरयौ, सुख करत समाज।।
आनँद करत सकल गिरिवर-तर, दुख डारयौ सबहिन बिसराइ।
चकृत भए देखत यह लीला, परत सबै हरि-चरननि धाइ।।
गिरिवर टेकि रहे बाएँ कर, दच्छिन कर लियौ सखनि उठाइ।
कान्ह कहत ऐसौ गोवर्धन, देखौ कैसौ कियौ सहाइ।।
गोप ग्वा‍ल नंदादिक जहँ लौ, नंद-सुवन लियौ निकट बुलाइ।
सूरदास प्रभु कहत सबनि सौं, तुमहूँ मिलि टेकौ गिरि आइ।।872।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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