बहुत भाँति नैना समुझाए।
लंपट तदपि संकोच न मानत, जद्यपि घूँघट ओट दुराए।।
निरखि नवल इतराहिं जाहिं मिलि, जनु बिबि खंजन अंजन पाए।
स्याम कुँवर के कमल बदन कौं, महामत्त मधुकर ह्वै धाए।।
घूँघट ओट तजी सरिता ज्यौ, स्याम सिंधु कै सन्मुख आए।
'सूर' स्याम मिलि कढि पलकनि सौ, बिनु मोलहि हठि भए पराए।।2390।।