बरु उन कुबिजा भलौ कियौ।
सुनि सुनि समाचार ये मधुकर, अधिक जुड़ात हियौ।।
जिनके तन मन प्रान रूप गुन हरयौ, सु फिरि न दियौ।
तिन अपनौ मन हरत न जान्यौ, हँसि हँसि लोग जियौ।।
‘सूर’ तनक चंदन चढ़ाइ उर, श्रीपति बस जु कियौ।
और सकल नागरि नारिनि कौ, दासी दाउँ लियौ।।3638।।