बनि बनि आवत हैं मेरे लालन -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग ईमन


बनि बनि आवत हैं मेरे लालन, भाग बडे री मेरे।
दरस देखि अति ही सुख उपजत, अरु सनमुख जब हेरै।।
तब मै हँसति मंद मुसुकत जब, आनंद आवत नेरै।
'सूरदास' प्रभु की सूरति जिय, टरति न साँझ सबेरै।।2214।।

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