फल फलित होय फलरूप जाने -नंददास

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फल फलित होय फलरूप जाने ।
देखिहु ना सुनी ताहि की आपुनी, काहु की बात कहो कैसे जु माने ॥1॥
ताहि के हाथ निर्मोल नग दीजिये, जोई नीके करि परखि जाने ।
सूर कहें क्रूर तें दूर बसिये सदा, श्री यमुना जी को नाम लीजे जु छाने ॥2॥

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